नई दिल्ली, 4 अप्रैल 2025: वक्फ संशोधन बिल गुरुवार रात 12 घंटे से अधिक की चर्चा के बाद राज्यसभा से भी पारित हो गया। इस बिल के पक्ष में 128 और विरोध में 95 वोट पड़े। पहले, बुधवार को लोकसभा में भी इस बिल को 12 घंटे की चर्चा के बाद मंजूरी मिल चुकी थी। अब यह बिल राष्ट्रपति के पास जाएगा, और उनकी स्वीकृति के बाद यह कानून बन जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बिल को एक बड़ा सुधार बताते हुए कहा कि यह कानून ट्रांसपेरेंसी बढ़ाएगा और गरीब-पसमांदा मुस्लिम समुदाय के अधिकारों की रक्षा करेगा। उन्होंने कहा, "वक्फ संपत्तियों में सालों से गड़बड़ी हो रही थी, जिससे खासतौर पर मुस्लिम महिलाओं और गरीबों को नुकसान हुआ। यह नया कानून इस समस्या को दूर करेगा।"
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का विरोध
राज्यसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस बिल का विरोध किया और कहा कि विपक्ष के सभी सदस्य इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं, जो इस बात का संकेत है कि इसमें खामियां हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वक्फ संपत्तियां किसे दी जाएं, यह स्पष्ट नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह बिल मुस्लिम समुदाय के हकों को छीनने का प्रयास है।
सांसदों ने दिए विवादित बयान
बीजू जनता दल (BJD) ने अपने सांसदों को व्हिप जारी नहीं किया और कहा कि सांसद अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर इस बिल पर निर्णय लें। भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने इस दौरान वक्फ से जुड़े ताजमहल विवाद का जिक्र करते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड ने एक बार ताजमहल पर भी दावा किया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फटकार लगाई थी।
केंद्र सरकार का पक्ष
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि इस बिल में ट्रांसपेरेंसी, अकाउंटेबिलिटी और एक्यूरेसी पर विशेष ध्यान दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि यह बिल व्यापक चर्चा और जेपीसी की सिफारिशों के बाद तैयार किया गया था। उन्होंने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि लोकतंत्र में बहुमत की आवाज को महत्व दिया जाता है, और यही सरकार का कदम है।
विपक्ष के तर्क
विपक्ष के नेताओं ने बिल को लेकर कई सवाल उठाए। शिवसेना (UBT) के सांसद संजय राउत ने कहा कि सरकार को मुस्लिमों की चिंता कब से होने लगी, जबकि पहले उन्होंने हमेशा मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया है। वहीं, आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि बहुमत का मतलब यह नहीं होता कि वह सही होता है। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू-मुसलमानों को एक-दूसरे की आदत है, और इसे बदलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
AIMIM और AAP का विरोध
AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस बिल को मुसलमानों को जलील करने की एक साजिश करार दिया और लोकसभा में इसकी कॉपी फाड़ दी। वहीं, AAP सांसद संजय सिंह ने इस बिल पर सवाल उठाए और कहा कि यह धार्मिक संपत्तियों पर कब्जा करने का रास्ता खोलेगा, और यह न केवल मुस्लिम, बल्कि सभी समुदायों के लिए हानिकारक होगा।
क्या होगा अगला कदम?
अब वक्फ संशोधन बिल राष्ट्रपति के पास जाएगा। राष्ट्रपति की सहमति मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा, जो वक्फ संपत्तियों से संबंधित व्यवस्थाओं में सुधार करेगा और अधिक पारदर्शिता को बढ़ावा देगा।