इंदौर
भोपाल से पीथमपुर लाए गए यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को जलाने की प्रक्रिया को सर्वोच्च अदालत ने मंजूरी दे दी है। सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय मिश्र द्वारा कचरा जलाने पर रोक लगाने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
गुरुवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता चाहें तो हाई कोर्ट में इस मामले पर आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने शासन का वह जवाब भी रिकॉर्ड पर लिया, जिसमें कहा गया कि कचरा जलाने के दौरान सभी नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा।
पिछली सुनवाई में सरकार से जवाब मांगा था
सुप्रीम कोर्ट ने पहले पूछा था कि यदि कचरा जलाने के दौरान कोई दुर्घटना होती है, तो राज्य सरकार के पास उसे संभालने के लिए क्या इंतजाम हैं। इस पर मध्य प्रदेश सरकार ने गुरुवार को अपना जवाब दाखिल किया, जिसमें बताया गया कि कचरा जलाने के दौरान आपदा प्रबंधन के लिए सभी तैयारियां की गई हैं।
कचरा जलाने की प्रक्रिया शुरू
पीथमपुर में रि-सस्टेनेबिलिटी कंपनी के परिसर में पिछले दो महीनों से रखे गए यूनियन कार्बाइड के 337 टन कचरे में से गुरुवार को चार से पांच कंटेनर खोले जाएंगे। कचरे में मौजूद हानिकारक तत्वों पर नियंत्रण के लिए उसमें सोडियम सल्फाइड जैसे रसायन मिलाए जाएंगे। इसके बाद इंसीनरेटर में ड्राई रन किया जाएगा, और 12 घंटे तक तापमान को 850-900 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ाया जाएगा।
संभागायुक्त दीपक सिंह ने कहा कि कोर्ट के निर्देशों के तहत कचरा जलाने की प्रक्रिया गुरुवार से शुरू की जाएगी।
याचिकाकर्ता की आपत्तियां खारिज
चिन्मय मिश्र ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया था कि कचरा जलाने की प्रक्रिया में पर्यावरण और स्वास्थ्य नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। उनका यह भी कहना था कि कचरा जलाने के स्थान से 250 मीटर दूर एक गांव है और 1 किमी के दायरे में तीन अन्य गांव हैं, लेकिन इन गांवों के निवासियों के लिए वैकल्पिक स्थान की व्यवस्था नहीं की गई। इसके अलावा, पीथमपुर में अस्पताल की भी कमी है, जिससे कचरा जलाने के दौरान किसी भी आपदा के घटित होने की स्थिति में इलाज की व्यवस्था मुश्किल हो सकती है।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इन आपत्तियों को खारिज कर दिया, और कचरा जलाने की प्रक्रिया को मंजूरी दे दी।