जगदीश परमार की खास खबर
उज्जैन (मध्य प्रदेश) – महाकाल मंदिर के अंदर पूजा और नियुक्तियों को लेकर विवाद उभरने के बाद, सारिका गुरु ने इस मामले को उच्च न्यायालय में उठाया है। चैनल पर विशेष चर्चाओं में उन्होंने अपनी ओर से सभी तथ्यों का खुलासा किया और मंदिर प्रशासन की प्रक्रिया पर सवाल उठाए।
सारिका गुरु ने कहा, “हमारे ऊपर आरोप लगाने वाले पहले यह बताएं कि उनका नियुक्ति पत्र कहां है। मैं पूरी जानकारी और दस्तावेजों के साथ उच्च न्यायालय की शरण में पहुंची हूं, और उच्च न्यायालय ने पूरी बात को दस्तावेज़ों के आधार पर सुना।”
महाकाल मंदिर की पूजा प्रक्रिया पर सवाल
सारिका गुरु ने महाकाल मंदिर की पूजा प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि महाकाल मंदिर में 19 मंदिर हैं, और यह समझना मुश्किल है कि एक ही पुजारी सभी पूजा अर्चनाओं, भोग, आरती और अन्य धार्मिक क्रियाओं को एक ही समय में कैसे संपन्न कर सकता है। उन्होंने इसे लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि यह धार्मिक प्रक्रिया के लिए उचित नहीं है।
बंटी बबली नाम का उल्लेख और संविधान का अधिकार
सारिका गुरु ने अपने बयान में “बंटी बबली” नाम का उल्लेख किया और कहा कि इसमें कोई गलत बात नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय संविधान में हर नागरिक को मौलिक अधिकार प्राप्त है, और उन्होंने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत कुछ जानकारी मांगी थी, जो उन्हें नहीं मिली। इस आधार पर, वह उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने के लिए मजबूर हुईं।
योग्यता और पद का सवाल
सारिका गुरु ने यह भी बताया कि योग्य व्यक्ति को ही उस पद पर बैठना चाहिए, जिसके लिए वह योग्य हो। महाकाल मंदिर में कई ऐसे लोग हैं, जो उस पद के लिए योग्य नहीं हैं, फिर भी वे उस पद पर कैसे बैठे हैं, यह एक बड़ा सवाल है। इस मुद्दे को लेकर उन्होंने उच्च न्यायालय से निष्पक्ष और उचित निर्णय की अपील की है।