संभल जिले के ऐतिहासिक इलाके में जामा मस्जिद के पास अचानक आग लगने से विवाद गहरा गया है। हिंदू समुदाय इस स्थान को हरिहर मंदिर से जोड़ते हुए दावा कर रहे हैं कि यह स्थल उनका धार्मिक स्थल है, जिसे बाबर द्वारा तोड़े गए अयोध्या के राम मंदिर की तरह, यहाँ भी एक मंदिर था, जिसे बाद में मस्जिद में बदल दिया गया।

हिंदू समुदाय के लोग कह रहे हैं, “पूरे इलाके के लोग जानते हैं कि यह हमारा मंदिर है। यह लोगों की आस्था का केंद्र है। बाबर ने अयोध्या के राम मंदिर और संभल के हरिहर मंदिर को तोड़कर उस पर मस्जिद बनवाई थी।” उनका यह भी कहना है कि गजेटियर में इस मंदिर का रिकॉर्ड मौजूद है, जो उनके दावे को मजबूती प्रदान करता है।
वहीं, मुस्लिम समुदाय इस दावे को नकारते हुए कहते हैं, “यह मस्जिद है, और इस पर किसी मंदिर का कोई इतिहास नहीं है। अगर यह मंदिर था, तो यह साबित करें कि कब और किसने इसे बनाया था।” उनका कहना है कि यह मस्जिद सदियों से इस स्थान पर स्थित है, और ऐतिहासिक प्रमाण के बिना किसी विवाद की जरूरत नहीं है।
आग लगने की घटना ने धार्मिक स्थलों की ऐतिहासिक पहचान को लेकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। एक ओर हिंदू समुदाय इसे अपनी सांस्कृतिक धरोहर मानता है, वहीं मुस्लिम समुदाय इसे अपने धार्मिक स्थल के रूप में पेश कर रहा है। दोनों समुदायों के बीच इस मुद्दे को लेकर तनाव बढ़ गया है, और प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
स्थानीय प्रशासन ने इस घटना के बाद इलाके में सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया है और दोनों समुदायों के बीच शांति बनाए रखने के लिए प्रयासरत है। प्रशासन का कहना है कि जब तक मामले की जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
यह मामला धार्मिक पहचान और ऐतिहासिक तथ्यों के विवाद को लेकर न केवल संभल, बल्कि पूरे देश में एक नई बहस छेड़ सकता है। क्या यह मामला सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का कारण बनेगा, या इसे शांति और सहमति के रास्ते पर लाया जा सकेगा, यह आने वाला समय ही बताएगा।