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Monday, July 7, 2025
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लेबनान की राजधानी बेरूत पर इजरायल का बड़ा हमला, 40 से ज्यादा लोगों की मौत

लेबनान की राजधानी बेरूत पर इजरायल द्वारा किया गया बड़ा हमला, जिसमें 40 से ज्यादा लोगों की मौत की खबर है, ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को हिलाकर रख दिया है। यह हमला इजरायल की ओर से हिजबुल्लाह के ठिकानों पर किए जा रहे लगातार हमलों का हिस्सा है।

इस हमले के बाद बेरूत शहर में भारी तबाही मच गई है और जानकारी के अनुसार, कई बच्चों की भी मौत हो गई। इजरायली सेना ने पहले शहर के कई हिस्सों को खाली करने का आदेश दिया था। इसके अलावा, हूती विद्रोहियों ने भी इजरायल पर हमले का दावा किया, जिसमें उन्होंने इजरायल के नेवातिम एयरबेस पर बैलिस्टिक मिसाइल से हमला किया था।
इजरायल का बेरूत पर हमला

इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच बढ़ते संघर्ष के कारण

इजरायल ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि वह लेबनान में हिजबुल्लाह के ठिकानों पर हमले जारी रखेगा। वहीं, गाज़ा में हमास के ठिकानों को भी निशाना बनाया जा रहा है। इजरायली अधिकारियों का कहना है कि वे किसी भी शर्त पर सीजफायर के लिए तैयार नहीं हैं, जब तक लेबनान से हिजबुल्लाह की गतिविधियों पर काबू नहीं पाया जाता।

इस हमले के बाद, इजरायल और लेबनान के बीच तनाव और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। इजरायल ने बफर जोन बनाने की शर्त रखी है, जिसमें हिजबुल्लाह के लड़ाकों का प्रवेश न हो।

हूती विद्रोहियों का दावा: इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइल हमला

हूती विद्रोहियों ने शुक्रवार को इजरायल के नेवातिम एयरबेस पर एक बैलिस्टिक मिसाइल से हमला करने का दावा किया। इसके अलावा, उन्होंने यमन के अल-जौफ प्रांत में अमेरिकी ‘एमक्यू-9 रीपर’ ड्रोन को मार गिराने की भी बात कही। हूती सेना के प्रवक्ता याह्या सरेया ने इस हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि गाजा पट्टी में हमास और लेबनान में हिजबुल्लाह के समर्थन में यह हमला किया गया।

इजरायल और संयुक्त राष्ट्र का रुख

इजरायल का कहना है कि वह फिलहाल लेबनान में किसी भी तरह के शांति समझौते या सीजफायर के पक्ष में नहीं है। इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन से बातचीत में स्पष्ट किया था कि वे एकतरफा सीजफायर के खिलाफ हैं। संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका के आग्रह के बावजूद इजरायल अपनी कार्रवाई जारी रखने की बात कर रहा है।

आगे की राह

लेबनान में इजरायल के हमलों के बाद स्थिति और भी जटिल हो गई है। संयुक्त राष्ट्र ने इस पर चिंता व्यक्त की है, लेकिन इजरायल की सरकार की तरफ से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। इन घटनाओं से स्पष्ट है कि मध्य-पूर्व में संघर्षों के बढ़ने का खतरा बना हुआ है।

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