19 से 24 मार्च तक रंगपंचमी, शीतला माता और दशा माता का पूजन
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, मध्य मालवा में रंगपंचमी का विशेष महत्व है। चैत्र मास से चिंतामण गणेश की यात्रा भी प्रारंभ होगी। शीतला सप्तमी और अष्टमी का पर्व 21 और 22 मार्च को मनाया जाएगा। इन दिनों शीतला माता को ठंडा भोजन का नैवेद्य चढ़ाया जाता है। कुछ परिवार सप्तमी को पूजा करते हैं, तो कुछ अष्टमी को। पूजन ब्रह्म मुहूर्त से सूर्योदय के पूर्व तक किया जाता है।

शीतला माता की पूजा का विशेष महत्व
मान्यता है कि इससे परिवार के बच्चों को कोई बीमारी नहीं होती। वैज्ञानिक दृष्टि से भी इस दिन ठंडा भोजन करने से ऋतु परिवर्तन का प्रभाव कम होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
दशा माता का पूजन (24 मार्च)
24 मार्च को दशमी तिथि पर दशा माता का पूजन होगा। यह तिथि पूर्ण तिथि मानी जाती है। इस दिन महिलाएं व्रत रखकर पीपल वृक्ष की पूजा और परिक्रमा करती हैं। दशा माता के धागे में दस गांठें लगाई जाती हैं। इन दस गांठों का अर्थ है दस प्रकार के दोषों से मुक्ति और दस प्रकार के शुभ संकल्पों की प्राप्ति। यह पूजन परिवार की सुख-शांति और दरिद्रता के निवारण के लिए किया जाता है।