हादसा: बस की कमानी टूटी, फिर खाई में गिरी
कुमाऊं के कमिश्नर दीपक रावत ने बताया कि यह बस रामनगर से आ रही थी और मार्चुला के पास कोपि गांव के नजदीक दुर्घटनाग्रस्त हुई। हादसे के समय बस में 63 यात्री सवार थे, जो अपने गंतव्य रामनगर जा रहे थे। रावत के अनुसार, दुर्घटना में 36 लोग मारे गए, जिनमें से 28 की मौके पर ही मौत हो गई, और 8 अन्य की मौत अस्पताल में इलाज के दौरान हुई।
अल्मोड़ा के एसडीएम संजय कुमार ने बीबीसी हिंदी को बताया, “दुर्घटना में मृतकों के शव निकालने का काम जारी है, और घायलों को इलाज के लिए अस्पताल भेजा जा रहा है।” घायलों में से चार की हालत गंभीर बताई जा रही है।
प्रशासन ने की त्वरित कार्यवाही
उत्तराखंड के डीजीपी अभिनव कुमार ने एएनआई से बातचीत में कहा कि यह एक गंभीर हादसा है। उन्होंने जानकारी दी कि दुर्घटना के बाद पौड़ी और अल्मोड़ा के एआरटीओ (क्षेत्रीय परिवहन अधिकारियों) को निलंबित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं और राहत कार्यों के लिए स्थानीय प्रशासन को निर्देशित किया है।
एयरलिफ्ट से घायलों को भेजा गया अस्पताल
कुमाऊं के कमिश्नर दीपक रावत ने बताया कि गंभीर रूप से घायल चार यात्रियों को हेलीकॉप्टर के जरिए ऋषिकेश एम्स भेजा गया है। इसके अलावा अन्य घायल यात्रियों को हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल और रामनगर में इलाज के लिए भेजा गया है।

बीजेपी सांसद अजय भट्ट ने भी राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “घायलों को एयरलिफ्ट करके उचित इलाज के लिए भेजा जा रहा है, और मुख्यमंत्री के साथ लगातार संपर्क में हैं।”
मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री ने जताया शोक
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया है और मृतकों के परिजनों को चार लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है। साथ ही, घायलों को एक लाख रुपये की सहायता दी जाएगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शोक व्यक्त किया, उन्होंने कहा, “राज्य सरकार के निर्देश पर राहत और बचाव कार्य तेज़ी से चलाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री राहत कोष से मृतकों के परिवारों को दो लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की राशि प्रदान की जाएगी।”
घटना की जांच और सरकारी सख्ती
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने इस हादसे की गंभीरता को देखते हुए कुमाऊं मंडल आयुक्त को मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि यदि घटना में किसी प्रकार की लापरवाही पाई जाती है, तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
साथ ही, उत्तराखंड सरकार ने राज्य के सभी पहाड़ी रूटों पर सरकारी बसों को चलाने का प्रस्ताव किया है ताकि इस तरह के हादसों की पुनरावृत्ति को रोका जा सके। इसके साथ ही, रामनगर के सरकारी अस्पताल को एक ट्रॉमा सेंटर में बदलने की भी मांग की जा रही है।
निलंबन और आक्रोश
दुर्घटना के बाद, कई लोग सरकारी व्यवस्थाओं पर सवाल उठा रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता ललित उप्रेती ने आरोप लगाया कि घायलों को समय पर इलाज नहीं मिला, जिससे कई जानें बचाई जा सकती थीं। रामनगर अस्पताल में भाजपा सांसद अजय भट्ट के पहुंचने पर लोगों ने उनका विरोध किया और मुआवजे की मांग की।
मुआवजा और मदद की घोषणा
उत्तराखंड सरकार के अलावा, केंद्र सरकार ने भी मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने का ऐलान किया है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने घोषणा की है कि प्रधानमंत्री राहत कोष से मृतकों के परिजनों को दो लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की राशि दी जाएगी।
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी इस हादसे पर दुख जताया और कहा, “यह घटना अत्यंत दुखद है। राहत कार्यों में हर संभव मदद की जाएगी।”

बस की जानकारी और हादसे का कारण
गढ़वाल मोटर्स यूनियन लिमिटेड ने हादसे की जानकारी देते हुए बताया कि दुर्घटनाग्रस्त बस का नंबर यूपी 12 PA 0061 था और यह 37 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था वाली बस थी। यूनियन का दावा है कि दुर्घटना के समय बस में 63 यात्री सवार थे, जो क्षमता से अधिक थे। इसके कारण हादसा होने की संभावना जताई जा रही है।
सड़क हादसों में बढ़ोतरी
भारत में हर साल सड़क हादसों में लगभग 1,60,000 लोग अपनी जान गंवा देते हैं, जो दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले कहीं अधिक है। यह हादसा भी सड़क सुरक्षा नियमों की अनदेखी और ओवरलोडिंग के कारण हुआ है।