बिहार के प्रसिद्ध शिक्षक खान सर एक बार फिर बीपीएससी (Bihar Public Service Commission) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों के समर्थन में पटना में सड़कों पर उतरे हैं। 25 दिसंबर को बीपीएससी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज के बाद खान सर का यह पहला सार्वजनिक समर्थन है। उन्होंने छात्रों के साथ खड़े होने की बात कही और कहा, “हम तब तक लड़ेंगे जब तक हमें हमारा हक नहीं मिल जाता।”
खान सर ने आगे कहा, "हम सब यहां अपना हक मांगने के लिए आए हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि यह लड़ाई सिर्फ छात्रों के लिए नहीं, बल्कि उन परिवारों के लिए भी है जिनकी परेशानियों को नजरअंदाज किया जा रहा है। खास तौर पर, उन्होंने सोनू नामक छात्र की मौत का जिक्र किया, जो इस आंदोलन का हिस्सा था। खान सर ने बीपीएससी से मांग की कि वह सोनू की मौत में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करे और उसे न्याय मिले।
25 दिसंबर को बीपीएससी के खिलाफ धरना दे रहे छात्रों पर बिहार पुलिस ने लाठीचार्ज किया था, जब वे बीपीएससी कार्यालय का घेराव करने के लिए पहुंचे थे। पहले पुलिस ने छात्रों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने से रोकने की कोशिश की, लेकिन जब छात्र नहीं माने, तो पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। इस दौरान कई छात्रों को चोटें भी आईं।
विरोध प्रदर्शन का मुख्य मुद्दा आयोग द्वारा लागू किए गए नॉर्मलाइजेशन पद्धति को लेकर है, जिसे छात्र वर्ग ने अनुचित बताया है। बीपीएससी के अधिकारियों को इस पर सफाई देनी पड़ी, जिसके बाद कुछ समय के लिए प्रदर्शन में कमी आई, लेकिन यह पूरी तरह से थमा नहीं है।
खान सर ने यह भी कहा कि सरकार को अपने वादों को निभाना चाहिए और छात्रों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए। उन्होंने यह बयान भी दिया कि “अगर सरकार कहती है बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ, तो पटना में पुलिस ने बेटी पर लाठी क्यों मारी?”
इस घटनाक्रम से साफ है कि बीपीएससी विरोधी छात्र आंदोलन अब भी जारी है और इसमें शिक्षक वर्ग का भी व्यापक समर्थन देखा जा रहा है।