नई दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा में अंबेडकर को लेकर की गई अपनी टिप्पणी पर सफाई दी। शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “संसद में चर्चा तथ्यों और सत्य के आधार पर होनी चाहिए, और भाजपा के सदस्यों ने वही किया। जब यह साबित हो गया कि कांग्रेस अंबेडकर विरोधी, आरक्षण विरोधी और संविधान विरोधी है, तो उसने अपनी पुरानी रणनीति अपनाते हुए बयानों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया।”
अमित शाह की सफाई:
शाह ने आगे कहा, "खड़गे जी इस्तीफा मांग रहे हैं, उन्हें आनंद हो रहा है तो शायद मैं दे भी दूं, लेकिन इससे उनका काम नहीं बनेगा। वह जहां हैं, वहीं बैठेंगे। मेरे इस्तीफे से उनकी दाल नहीं गलने वाली।"

इससे पहले, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शाह की टिप्पणी के खिलाफ अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि यह अंबेडकर का अपमान है। खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की थी कि गृह मंत्री को रात 12 बजे से पहले बर्खास्त किया जाए। उनका आरोप था कि मोदी और शाह एक-दूसरे के गलत बयान और कामों का बचाव करते हैं।
क्या था शाह का विवादित बयान? मंगलवार को राज्यसभा में संविधान पर चर्चा करते हुए अमित शाह ने कहा था, "आजकल एक फैशन बन गया है—अंबेडकर, अंबेडकर... अगर लोग भगवान का नाम इस तरह लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग में रहते।" कांग्रेस ने इसे अंबेडकर का अपमान बताया और शाह से इस्तीफा मांगा।
अमित शाह की प्रेस कॉन्फ्रेंस की मुख्य बातें:
- कांग्रेस का संविधान विरोधी रवैया: शाह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस अंबेडकर विरोधी पार्टी है, आरक्षण और संविधान विरोधी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सावरकर का भी अपमान किया और आपातकाल लगाकर संविधान के मूल्यों को नुकसान पहुँचाया।
- कांग्रेस ने अंबेडकर को भारत रत्न नहीं दिलवाया: शाह ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा अंबेडकर को हाशिए पर रखा। जबकि कांग्रेस ने खुद को भारत रत्न दिया, अंबेडकर को 1990 में उस समय भारत रत्न मिला, जब कांग्रेस सत्ता में नहीं थी।
- नेहरू और अंबेडकर के बीच मतभेद: शाह ने कहा कि नेहरू की अंबेडकर के प्रति नफरत जगजाहिर थी। उन्होंने नेहरू की किताबों में लिखे गए पत्रों का हवाला देते हुए कहा कि नेहरू ने अंबेडकर के बारे में अवमाननापूर्ण टिप्पणियां की थीं और उनके महत्व को कम किया था।
यह बयान अंबेडकर और आरक्षण को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच जारी आरोप-प्रत्यारोप के नए दौर को और तेज़ कर सकता है।